वर्तमान में पीएम मोदी अमेरिका यात्रा पर गए हुए हैं! कूटनीति के लिहाज से यह यात्रा देश में बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश और उच्चतम गुणवत्ता वाली तकनीक लाने में सहायक साबित हो सकती है,इसी दौरान उनकी क्वैड(Quad) समूह के राष्ट्रीय अध्यक्षों से भी मुलाकात और चर्चा होगी! कोरोना के बाद पीएम मोदी की यह पहली विदेश यात्रा होगी,जहां दुनिया के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत अपने हितों को साधने की कोशिश करेगा!
आंतरिक मुद्दों पर हम अपने राष्ट्रीय-अध्यक्ष (प्रधानमंत्री) के साथ विचारों में मतभेद रख सकते हैं !उनकी बनाई हुई नीतियों का विरोध कर सकते हैं ! और जहां आवश्यक हो वहां करना भी चाहिए ! आखिर यही तो हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती का परिचायक है! परंतु यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि विरोध करते-करते कहीं ऐसा ना हो कि राष्ट्रीय मुद्दों ,विदेश नीतियां व कूटनीति के मामलों पर भी विरोध करते जाएं क्योंकि इससे एक नकारात्मक संदेश बाहर जाता है! जिसका उपयोग विरोधी देश अपने हितों को साधने में करते हैं! यह शर्म की बात है कि वर्तमान में राजनीतिक विरोधी दल सरकार की प्रत्येक नीतियों व उनके द्वारा उठाए गए सभी कदमों का विरोध केवल इसलिए करती है क्योंकि उससे वह अपना राजनीतिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं! सरकार के किसी भी नीतियों से अगर आप सहमत नही है, तो उसके लिए सबसे पर्याप्त स्थान विरोधियों के पास संसद भवन होता है जहाँ वो उन मुद्दों को उठाकर के उनका विरोध या सुझाव दे सकते है ! इससे ना केवल समस्या का समाधान होगा बल्कि सैद्धांतिक रूप से भी विरोधी दल के प्रति जनता के मन में वैकल्पिक नेतृत्व का भाव प्रकट होगा! इसलिए विरोधी दलों को समझना चाहिए कि जहां राज्य(राष्ट्रीय) की गरिमा, विदेश नीति व कूटनीति का मामला हो वहां पर एक भारतीय होने के नाते हम सभी के विचारों में एक समरूपता दिखनी चाहिए!जिससे विरोधी राष्ट्रीय को ऐसा मौका ना मिले जिससे की वह हमारे राष्ट्र के प्रति वैश्विक मंचों से अधिप्रचार(Propeganda) कर सके ! हम को भूलना नहीं चाहिए निजी हितो से पहले हम सभी भारतीय हैं!
Yeah absolutely.. agree with your point
जवाब देंहटाएंThanks 😊
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