अपनी आत्ममुग्धता मे होकर जब आप किसी असमान विचारधारा के व्यक्ति अथवा अपने से बड़े किसी व्यक्ति को महत्व ना देकर केबल अपने आप को केन्द्रबिंदु मे रखते है औऱ सामने वाले व्यक्ति को अपमानित करते है तो यह हमारे devlopment का परिचयक नही बल्कि ये हमे silently अवनति के गर्त में ले जा रहा होता है! और हमे थोड़े देर के लिये अपने ऊपर बहुत गर्व होता है कि हम उस पर्टिकुलर व्यक्ति से अधिक socially एंड physcially powerful. ये बस एक हसीन फरेब(सपना) है जहाँ आपको खबर भी नही लगेगी और आप अनजाने में ही बहुत सी ऐसी किसी कि चीजों कि से suffer करेगे जिसका आपको जरा भी अनुमान नही होगा!
ना केवल ये नैतिक रूप से सत्य है बल्कि parcticle life में at the end of day सभी को जो satisfcation और happines कि चाहिए उसके लिए भी ये जरूरी है!-
