शुक्रवार के संस्करण में प्रकाशित लावण्या शिव शंकर जी का लेख संस्कृति का दुश्मन तालिबान पढ़ा! वर्तमान मे तालिबान कटरपंथी इस्लामी सोच के साथ जिसप्रकार तेजी से आगे बढ़ रहा है उसे देख कर नही लगता है की अफ़ग़ानिस्तान की मूल संस्कृति का अस्तित्व अधिक समय तक जीवित रह पायेगा! यह अफ़ग़ानिस्तान का भू-भाग कभी अखंड भारत का हिस्सा हुआ करता था जो सनातन धर्म और वैदिक संस्कृति का परिचायक था! यहाँ कभी कुषाण जैसे महान सम्राट हुआ करते थे जिनके समय मे बौद्ध-शैव संस्कृति का गौरवशाली अतीत रहा था! अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति देख कर ,मन को पीढ़ा होती है कि किस प्रकार कुछ हजार कटरपंथी देश के गौरवशाली इतिहास व संस्कृति को छिढ़ करते जा रहे है! तालिबानी अपनी रूढ़िबद्ध धारणा के अनुरूप, जो पहचान आम अफगानी के ऊपर थोप रहे है उससे अफगानिस्तान की भावी पीढ़ियों को अन्त में पहचान के संकट से गुजरना पड़ सकता है जिस प्रकार वर्तमान मे पाकिस्तान आइडेंटिटी अभाव में जी रहा है, जिसके पास ना खुद के कोई हीरो और ना कोई गौरवशाली इतिहास है ! ऐसा ही अफगानिस्तान को भविष्य में सामना करना पड़ सकता है अगर वक़्त रहते उन्होंने अपनी संस्कृति और इतिहास को नही सँभाला ! यह सार्वभौमिक सत्य है कि आईडेंटिटी, ऐतिहासिक धरोहर, संस्कृति,विरासत में पूर्वजों से प्राप्त होती है और चूंकि अफगानिस्तान में हमारी सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहर रही है ऐसे में भारत सरकार को वैश्विक समुदाय के साथ मिलकर के अपनी सनातन धर्म के अभिन्न अनमोल धरोहर को सुरक्षित करने की कोशिश करनी चाहिए!
Good work 👍👍👍
जवाब देंहटाएंThank you 😊
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